Monday 9 July 2018

पानी का सही इस्तेमाल करके हम स्वस्थ कैसे रहें?

पानी कब पियें? पानी कब न पीयें? पानी कितना पीना चाहिए? पानी कब अधिक पीये? पानी कैसे पीयें? पानी को शुद्ध करने का आसान तरीका क्या है? आईये इस लेख में जाने और पानी द्वारा प्राकृतिक चिकित्सा का लाभ उठायें।


मनुष्य के शरीर में लगभग 75% पानी है। हमारे शरीर मे हरदिन लगभग 2600 ग्राम पानी खर्च होता है। गुर्दे से 1500 ग्राम, त्वचा से 650 ग्राम, फेफड़ो से 320 ग्राम और मल मार्ग से 130 ग्राम, जिसकी पूर्ति भोजन में रहने वाले जल से होती है। शरीर मे पानी का संतुलन बनाये रखने के लिए हरदिन कम से कम 2.5 लीटर पानी अवश्य पीना चाहिए। पानी कभी एक साथ नही पीना चाहिए। पानी हमेशा धीरे और घूँट-घूँट पीना चाहिए। जिससे पानी शरीर के तापमान के अनुसार पेट मे पहुंचे।


पानी को शुद्ध करने का आसान तरीका:
पानी को शुद्ध बनाये रखने के लिए उसमे तुलसी के पत्ते डालकर रखें। तुलसी में बहुत से ऐसे गुण होते हैं जो पानी को शुद्ध बनाये रखने में मदद करता है।

 
पानी कब पियें?
भोजन से पहले पानी पीने से पाचन शक्ति कम हो जाती है, शरीर पतला हो जाता है। भोजन के बीच मे 5-6 घूँट पानी पीने से भोजन जल्दी पचता है। भोजन के तुरंत बाद पानी पीने से शरीर फूलने लगता है जिससे मोटापा होने की संभावना ज्यादा हो जाती है। शरीर मे पाचन क्रिया और शक्ति कम हो जाती है। भोजन के एक घंटे बाद पानी पीने से अमाशय को शक्ति मिलती है। जिन्हें दस्त ज्यादा आते हैं उन्हें भोजन करते समय पानी नही पीना चाहिए।

पानी कब न पीयें?
गर्म भोजन, खीरा, खरबूजा, ककड़ी खाने के बाद, सोकर उठने के तुरंत बाद चाहे दिन हो या रात, दस्त हो जाने के बाद, दूध या चाय लेने के बाद, धूप से आने के तुरंत बाद पानी नही पीना चाहिए।

पानी कितना पीना चाहिए?
हमे कम से कम आठ लीटर पानी पीना चाहिए। डॉक्टरों के मुताबिक अगर आप पानी पीने की सही मात्रा जानना चाहते हैं तो अपने शरीर के वजन को 0.55 से गुणा करने पर जो भी माप आएगी पानी की वही मात्रा आपके लिए अच्छी है। अगर आप शारिरिक मेहनत ज्यादा करते हैं तो 0.66 से गुणा करने पर आए मापदंड का पानी आपके लिए अच्छा है।बीमारी के समय भी पानी पीना चाहिए। जिससे आपके शरीर मे ठंडक पहुंचे और शरीर के सभी सिस्टम सही काम करे।

पानी कब अधिक पीये?
हाई ब्लड प्रेशर, लू लगने पर, पेशाब की बीमारी, बुखार, हृदय की धड़कन, कब्ज, पेट की जलन जैसे रोगों में पानी अधिक पीये।

पानी कैसे पीयें?

ग्लास त बर्तन को मुंह से लगाकर ही पानी पीना चाहिए। ऊपर से सीधा मुंह मे डालना पानी पीने का सही तरीका नही है इससे पेट मे बीमारियों की संभावना बनी रहती है। बिना मुंह लगाए ऊपर से पानी पीने से पेट मे मुंह से लेकर गुदा द्वार तक के आहार नली में वायुदोष मतलब गैस बनती है और वायु ऊपर उठकर बद हजमी, खट्टी डकार, अपच, जी मचलाने जैसी बीमारियां हो जाती हैं। ग्लास को मुंह से लगाकर पानी को हमेशा घूँट घूँट कर ही पीना चाहिए जिससे अनेक बीमारियों से बचा जा सकता है।


नोट:
दी गयी जानकारी अनेक सोर्स पर आधारित है। इन उपायों को करने से पहले डॉक्टरी सलाह अवश्य लें।


पानी का सही इस्तेमाल करके स्वयं को स्वस्थ कैसे बनायें?

पानी कब पियें? पानी कब न पीयें? पानी कितना पीना चाहिए? पानी कब अधिक पीये? पानी कैसे पीयें? पानी को शुद्ध करने का आसान तरीका क्या है? आईये इस लेख में जाने और पानी द्वारा प्राकृतिक चिकित्सा का लाभ उठायें।
Learn how water can help us to be healthy.


मनुष्य के शरीर में लगभग 75% पानी है। हमारे शरीर मे हरदिन लगभग 2600 ग्राम पानी खर्च होता है। गुर्दे से 1500 ग्राम, त्वचा से 650 ग्राम, फेफड़ो से 320 ग्राम और मल मार्ग से 130 ग्राम, जिसकी पूर्ति भोजन में रहने वाले जल से होती है। शरीर मे पानी का संतुलन बनाये रखने के लिए हरदिन कम से कम 2.5 लीटर पानी अवश्य पीना चाहिए। पानी कभी एक साथ नही पीना चाहिए। पानी हमेशा धीरे और घूँट-घूँट पीना चाहिए। जिससे पानी शरीर के तापमान के अनुसार पेट मे पहुंचे।

Learn how much water we need to drink.



पानी को शुद्ध करने का आसान तरीका:
पानी को शुद्ध बनाये रखने के लिए उसमे तुलसी के पत्ते डालकर रखें। तुलसी में बहुत से ऐसे गुण होते हैं जो पानी को शुद्ध बनाये रखने में मदद करता है।

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पानी कब पियें?
भोजन से पहले पानी पीने से पाचन शक्ति कम हो जाती है, शरीर पतला हो जाता है। भोजन के बीच मे 5-6 घूँट पानी पीने से भोजन जल्दी पचता है। भोजन के तुरंत बाद पानी पीने से शरीर फूलने लगता है जिससे मोटापा होने की संभावना ज्यादा हो जाती है। शरीर मे पाचन क्रिया और शक्ति कम हो जाती है। भोजन के एक घंटे बाद पानी पीने से अमाशय को शक्ति मिलती है। जिन्हें दस्त ज्यादा आते हैं उन्हें भोजन करते समय पानी नही पीना चाहिए।

पानी कब न पीयें?
गर्म भोजन, खीरा, खरबूजा, ककड़ी खाने के बाद, सोकर उठने के तुरंत बाद चाहे दिन हो या रात, दस्त हो जाने के बाद, दूध या चाय लेने के बाद, धूप से आने के तुरंत बाद पानी नही पीना चाहिए।

पानी कितना पीना चाहिए?
हमे कम से कम आठ लीटर पानी पीना चाहिए। डॉक्टरों के मुताबिक अगर आप पानी पीने की सही मात्रा जानना चाहते हैं तो अपने शरीर के वजन को 0.55 से गुणा करने पर जो भी माप आएगी पानी की वही मात्रा आपके लिए अच्छी है। अगर आप शारिरिक मेहनत ज्यादा करते हैं तो 0.66 से गुणा करने पर आए मापदंड का पानी आपके लिए अच्छा है।बीमारी के समय भी पानी पीना चाहिए। जिससे आपके शरीर मे ठंडक पहुंचे और शरीर के सभी सिस्टम सही काम करे।

पानी कब अधिक पीये?
हाई ब्लड प्रेशर, लू लगने पर, पेशाब की बीमारी, बुखार, हृदय की धड़कन, कब्ज, पेट की जलन जैसे रोगों में पानी अधिक पीये।



पानी कैसे पीयें?

ग्लास त बर्तन को मुंह से लगाकर ही पानी पीना चाहिए। ऊपर से सीधा मुंह मे डालना पानी पीने का सही तरीका नही है इससे पेट मे बीमारियों की संभावना बनी रहती है। बिना मुंह लगाए ऊपर से पानी पीने से पेट मे मुंह से लेकर गुदा द्वार तक के आहार नली में वायुदोष मतलब गैस बनती है और वायु ऊपर उठकर बद हजमी, खट्टी डकार, अपच, जी मचलाने जैसी बीमारियां हो जाती हैं। ग्लास को मुंह से लगाकर पानी को हमेशा घूँट घूँट कर ही पीना चाहिए जिससे अनेक बीमारियों से बचा जा सकता है।

How warm water will help us to improve our health.


गर्म पानी के लाभ

मोटापा घटाने, गैस, कब्ज, कोलाइटिस, एमोबायेसिस, कृमि, पसली का दर्द, जुखाम, गले के रोग, नया बुखार, खाँसी, हिचकी, चिकनी चीज़े, खाना खाने के बाद एक ग्लास गर्म पानी( जितना गर्म पी सके) लगातार पीते रहने से यह सभी रोग ठीक हो जाते हैं।

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सुबह लगभग आधा लीटर चाय जैसे गर्म पानी पीने खांसी, छींके, सरदर्द, बद हजमी,  जैसे रोगों से व्यक्ति सदा दूर रहता है। यदि गर्म पानी मे आधा नींबू का रस डाल दिया जाए तो समय पर भूख लगेगी। पेट मे गैस और सड़न भी नही होती।

मौसम बदलने पर गर्म पानी का सेवन और परहेजी खाना सबसे अच्छा उपचार है। छोटे बच्चों को गर्म पानी से भीगे तौलिये से मालिश भी कर सकते हैं। अगर शरीर मे कहीं मोच आ जाए तो दूसरे दिन से गर्म पानी मे डालकर सेंकने से लाभ होता है।

प्रसव के बाद बढ़ा हुआ पेट ठीक हो जाता है। मोटे रोगीयों, गठिया और जोड़ों के दर्द और सूजन के लिए गर्म पानी का सेवन बहुत लाभप्रद है इससे मूत्र अधिक मात्रा में आकर यूरिक अम्ल और विषैले पदार्थ शरीर के बाहर निकल जाते हैं। शरीर से विषैले पदार्थ निकल जाते हैं। गैस नहीं बनती, कब्ज नहीं रहता, पेट अच्छे से साफ होता है। मल आंतों में नही सड़ता, पेट मे कीड़े नही बनते हैं।

आमाशय और अंतड़ियों की कमजोरी, पेट फूलना, आमाशय की सूजन, पेचिश जैसी बीमारियां नष्ट हो जाती है यकृत को शक्ति प्राप्त होती है। औरत की मासिक धर्म की अनियमितता दूर होती है। आंखों के डार्क सर्कल, चेहरे का भद्दापन दूर होकर रंग साफ होता है। कमर सुंदर बनती है।

अल्कलाइन पानी  क्या है ?
अल्कलाइन पानी एक ऐसा जल है जो आपके शरीर में से ऐसे विषैले पदार्थ(toxins) जो शरीर में रहकर बीमारियाँ पैदा करते हैं उन्हें बाहर निकाल देता है वैज्ञानिकों के अनुसार कम से कम 7 से 8 गिलास अल्कलाइन पानी रोज पिए तो आप हमेशा स्वथ्य बने रहेंगे।  




नोट:
दी गयी जानकारी अनेक सोर्स पर आधारित है। इन उपायों को करने से पहले डॉक्टरी सलाह अवश्य लें।


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Tuesday 3 July 2018

अपना आत्मविश्वास और एकाग्रता कैसे बढ़ाएं? नितंबों की चर्बी कैसे घटाए?

अपना आत्मविश्वास और एकाग्रता बढ़ाने, नितंबों की चर्बी घटाने के लिए, रीढ़ की हड्डी की सक्रियता बढ़ाने, मन शांत रखने और पाचन शक्ति बढ़ाने के लिए बहुत ही आसान उपाय है, विश्वामित्र आसान।

विश्वामित्र आसन के लाभ:


  • एकाग्रता बढ़ती है। आपका आत्मविश्वास मजबूत होता है।
  • विभिन्न अंगो में एक तरह का सामंजस्य स्थापित होता है।
  • इस आसन से आपका शरीर बलशाली बनता है। ऊपरी हिस्से, कलाई सियाटिका नर्व और पैरों को विशेष मजबूती मिलती है।
  • रीढ़ की सक्रियता बढ़ती है। मन शांत होता है।
  • पाचन शक्ति और भी अच्छी होती है। नितंबो पर संचित वसा घटती है।

Vishvamitr aasan benefits, precautions, process



विश्वामित्र आसान की सावधानियां:


  • कलाई, कंधे, और हैमस्ट्रिंग इंजरी मतलब मांसपेशियों में खिंचाव और कमर के निचले हिस्से में अगर दर्द हो तो इस आसन को न करें।
  • हाई ब्लड प्रेशर वाले इस आसन को न करें। 

विश्वामित्र आसन के लाभ, विधि, हानियां


विश्वामित्र आसान को करने की विधि:


खड़े होकर दोनो हाथों को सिर के ऊपर ले जाते हुए नमस्कार की मुद्रा में खड़े हो जाएं। दोनो हाथों की भुजायें दोनो कानो से सटी रहे। अब आगे की ओर झुकते हुए दोनो हाथों की हथेलियों को जमीन पर टिका दें। फिर सांस छोड़ते हुए दोनों पैरों को पीछे की ओर ले जाये जिससे शरीर का भार हथेलियों और पैर के पंजों के अगले हिस्से पर आ जाए। इसप्रकार अधोमुख श्वनासन कि स्थिति बन जाएगी।

Adhomukh swaanasan pose


कुछ सेकेंड बाद सांस भरकर उसे रोक लें और दायाँ पैर मोड़कर दांयी बांह के पीछे टिका दें। सांस छोड़ते हुए बाए पैर से जमीन को दबाये रखते हुए दाहिने पैर को दाहिनी भुजा के पीछे से ऊपर हवा में फैल जाने दें। बायें हाथ को ऊपर की ओर उठाएं ताकि वह दाहिने हाथ के समानांतर आ जाएं। नज़र बाएं हथेली की तरफ ही रखें। इस अवस्था मे सामान्य रूप से सांस ले।


वापस आने के लिए अंतिम अवस्था मे करीब  15 सेकेंड रुकने के बाद सांस छोड़ते हुए पहले बाये हाथ को नीचे करे। फिर दायें पैर को नीचे करते हुए धीरे धीरे पीछे ले जाएं जिससे शरीर शरीर का भार हथेलियों और पैर के पंजो पर आ जाये। फिर पैर और हाथों को पास रखते हुए खड़े हो जाए। फिर पहले दोनों हाथों को ताड़ासन की मुद्रा में ले जाएं और कुछ सेकंड बाद दोनों हाथ नीचे कर विश्राम करें। फिर यही प्रक्रिया दूसरे पैर से भी दोहराएं।


Disclaimer: This information is based on web research and other different sources.