अपना आत्मविश्वास और एकाग्रता बढ़ाने, नितंबों की चर्बी घटाने के लिए, रीढ़ की हड्डी की सक्रियता बढ़ाने, मन शांत रखने और पाचन शक्ति बढ़ाने के लिए बहुत ही आसान उपाय है, विश्वामित्र आसान।
खड़े होकर दोनो हाथों को सिर के ऊपर ले जाते हुए नमस्कार की मुद्रा में खड़े हो जाएं। दोनो हाथों की भुजायें दोनो कानो से सटी रहे। अब आगे की ओर झुकते हुए दोनो हाथों की हथेलियों को जमीन पर टिका दें। फिर सांस छोड़ते हुए दोनों पैरों को पीछे की ओर ले जाये जिससे शरीर का भार हथेलियों और पैर के पंजों के अगले हिस्से पर आ जाए। इसप्रकार अधोमुख श्वनासन कि स्थिति बन जाएगी।
कुछ सेकेंड बाद सांस भरकर उसे रोक लें और दायाँ पैर मोड़कर दांयी बांह के पीछे टिका दें। सांस छोड़ते हुए बाए पैर से जमीन को दबाये रखते हुए दाहिने पैर को दाहिनी भुजा के पीछे से ऊपर हवा में फैल जाने दें। बायें हाथ को ऊपर की ओर उठाएं ताकि वह दाहिने हाथ के समानांतर आ जाएं। नज़र बाएं हथेली की तरफ ही रखें। इस अवस्था मे सामान्य रूप से सांस ले।
वापस आने के लिए अंतिम अवस्था मे करीब 15 सेकेंड रुकने के बाद सांस छोड़ते हुए पहले बाये हाथ को नीचे करे। फिर दायें पैर को नीचे करते हुए धीरे धीरे पीछे ले जाएं जिससे शरीर शरीर का भार हथेलियों और पैर के पंजो पर आ जाये। फिर पैर और हाथों को पास रखते हुए खड़े हो जाए। फिर पहले दोनों हाथों को ताड़ासन की मुद्रा में ले जाएं और कुछ सेकंड बाद दोनों हाथ नीचे कर विश्राम करें। फिर यही प्रक्रिया दूसरे पैर से भी दोहराएं।
Disclaimer: This information is based on web research and other different sources.
विश्वामित्र आसन के लाभ:
- एकाग्रता बढ़ती है। आपका आत्मविश्वास मजबूत होता है।
- विभिन्न अंगो में एक तरह का सामंजस्य स्थापित होता है।
- इस आसन से आपका शरीर बलशाली बनता है। ऊपरी हिस्से, कलाई सियाटिका नर्व और पैरों को विशेष मजबूती मिलती है।
- रीढ़ की सक्रियता बढ़ती है। मन शांत होता है।
- पाचन शक्ति और भी अच्छी होती है। नितंबो पर संचित वसा घटती है।
विश्वामित्र आसान की सावधानियां:
- कलाई, कंधे, और हैमस्ट्रिंग इंजरी मतलब मांसपेशियों में खिंचाव और कमर के निचले हिस्से में अगर दर्द हो तो इस आसन को न करें।
- हाई ब्लड प्रेशर वाले इस आसन को न करें।
विश्वामित्र आसान को करने की विधि:
खड़े होकर दोनो हाथों को सिर के ऊपर ले जाते हुए नमस्कार की मुद्रा में खड़े हो जाएं। दोनो हाथों की भुजायें दोनो कानो से सटी रहे। अब आगे की ओर झुकते हुए दोनो हाथों की हथेलियों को जमीन पर टिका दें। फिर सांस छोड़ते हुए दोनों पैरों को पीछे की ओर ले जाये जिससे शरीर का भार हथेलियों और पैर के पंजों के अगले हिस्से पर आ जाए। इसप्रकार अधोमुख श्वनासन कि स्थिति बन जाएगी।
कुछ सेकेंड बाद सांस भरकर उसे रोक लें और दायाँ पैर मोड़कर दांयी बांह के पीछे टिका दें। सांस छोड़ते हुए बाए पैर से जमीन को दबाये रखते हुए दाहिने पैर को दाहिनी भुजा के पीछे से ऊपर हवा में फैल जाने दें। बायें हाथ को ऊपर की ओर उठाएं ताकि वह दाहिने हाथ के समानांतर आ जाएं। नज़र बाएं हथेली की तरफ ही रखें। इस अवस्था मे सामान्य रूप से सांस ले।
वापस आने के लिए अंतिम अवस्था मे करीब 15 सेकेंड रुकने के बाद सांस छोड़ते हुए पहले बाये हाथ को नीचे करे। फिर दायें पैर को नीचे करते हुए धीरे धीरे पीछे ले जाएं जिससे शरीर शरीर का भार हथेलियों और पैर के पंजो पर आ जाये। फिर पैर और हाथों को पास रखते हुए खड़े हो जाए। फिर पहले दोनों हाथों को ताड़ासन की मुद्रा में ले जाएं और कुछ सेकंड बाद दोनों हाथ नीचे कर विश्राम करें। फिर यही प्रक्रिया दूसरे पैर से भी दोहराएं।
Disclaimer: This information is based on web research and other different sources.
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