Saturday 12 May 2018

सेतुबंध आसान के लाभ, हानियाँ और उसकी विधि


इसे शीर्ष पादासन और ब्रीज पोज़ भी कहते हैं इसमें शरीर की आकृति किसी फ्लाईओवर जैसी बनाकर सांस रोकनी होती है। पूर्वोत्तानासन, भुजंगासन और शलभासन के अभ्यास से सेतुबंधासन करना एकदम आसान हो जाता है इसी आशंका है इसी आसान का एक रूप कंधरासन है।

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सेतुबंध आसान के लाभ


  • घंटों बैठकर काम करने से जो पीठ दर्द और कमर दर्द की जो समस्या आती है ऐसे दर्द के लिए आसन बहुत अच्छा है।
  • इस आसन से कब्ज समाप्त होता है
  • गर्दन के रोग दूर होते हैं।
  • फेफड़े मजबूत होते हैं।
  • रीढ़ लचीली, रोगमुक्त होती है पीठ की मांसपेशियां मजबूत बनती हैं।
  • मासिक धर्म से होने वाली परेशानियों में राहत मिलती है।
  • दमा, स्लिप डिस्क, साइनोसाइटिस और ऑस्टियोपोरोसिस की समस्या में राहत मिलती हैN।
  • दिमाग के लिए अच्छा है मूड बदलने, चिंता सिर दर्द, भारीपन, थकान और अनिद्रा की समस्या दूर करने में मदद मिलती है।
  • नितंबों और जांघों की चर्बी कम होती है साथ ही जांघों और पैरों को मजबूती मिलती है।
  • तंत्रिका तंत्र,  पिट्यूटरी और थायराइड ग्रंथि को पर्याप्त रक्त मिलता है इस कारण उनकी कार्यप्रणाली सुचारु रुप से संचालित होती है इसी तरह थायराइड के साइड इफेक्ट में कमी आती है।



सावधानियां

  • इस आसन को खाली पेट करना चाहिए। 
  • पहली बार यह आसन करने पर शरीर के बीच के हिस्से को ऊपर उठाने में परेशानी हो सकती है। ऐसी स्थिति में हाथों को सिर के पीछे रख कर सहारा देकर ऊपर उठाएं अगर इससे भी आपको परेशानी हो रही हो तो कमर के नीचे हाथ लगाकर सहारा दें। ऐसी स्थिति में आप की ठुड्डी आपके सीने पर स्पर्श कर रही होगी इस अभ्यास में निपुणता के बाद ही हाथों को नाभि और जांघों पर रखना संभव होगा यदि सिर के नीचे हथेली न रख रहे हो तो कोई दरी बिछा लें। शरीर का संतुलन बनाए रखें और शरीर को झटका न दे। 
  • हाई ब्लड प्रेशर, पेट के अल्सर, पीठ से जुड़ी परेशानियों में यह आसन न करें।
  • गर्भवती महिलाओं के लिए यह आसन मना है।

Setubanasan loss, benefits and pricess


सेतुबंध आसन की विधि

दोनों पैरों के बीच लगभग 10 इंच की दूरी बनाकर शवासन में लेटे। सांस भरते हुए पहले कमर के निचले हिस्से,  फिर पीठ के बीच वाले भाग और अंत में सबसे ऊपरी हिस्से को धीरे-धीरे ऊपर उठाएं। फिर दोनों हाथों से नमस्कार की मुद्रा बनाएं। अगर यह संभव न हो तो आप हथेलियों को नाभि या जांघों के ऊपर भी रख सकते हैं। इस दौरान दोनों जांघे परस्पर सटी हों और पंजे और एड़ियां भी जमीन से सटी रहें। इस अवस्था मे सांस भरते हुए उसे जब तक रोक सकते हैं रोकें। फिर सांस छोड़ते हुए पहले पीठ उसके बाद कमर को नीचे लाते हुए सामान्य अवस्था में आ जाएं।

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